CHITRAKOOT
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खबर चित्रकूट से
खबर है कि साक्ष्य के आधार पर खबर है तो सुरक्षित है पत्रकार नहीं तो हो सकती है कार्यवाही -पत्रकार संगठन
आजकल खबरों का तरीका बदला हुआ है और खबरों को फैलने के लिए बहुत सारे तरीके हो गए हैं जिसमें वेब मीडिया बहुत ही आगे है इसी क्रम में यह सही है की सूचना का प्रारूप बदलने से खबरों का प्रकाशन तेज हो गया है और लोगों तक खबरें बहुत फटाफट पहुंच रही है लेकिन इसमें भी खबरों को फैलाने का तरीका अगर साक्ष्य के आधार पर है तो वह सही है लेकिन झूठी और बिना सबूत के आधार पर छापी गई खबरें अगर तथ्य रूप से सही नहीं पाई जाती हैं तो उल्टा रूप धारण कर लेती हैं उन पत्रकारों के लिए यह खतरनाक साबित होगी जो पत्रकार अपने उल्लू को सीधा करने के लिए खबरों का सहारा लेती हैं जिससे वह उन अधिकारियों पर दबाव बनाने का प्रयास करती हैं जिन अधिकारियों से उनका फायदा है और उनसे फायदा लेने का तरीका यही है कि उनके खिलाफ ऐसी खबरों को निकाला जाए जिसमें वह कहीं ना कहीं दोषी पाये जा सकते हैं लेकिन उसे दोषी होने का आधार नहीं है जिसके ऊपर वह खबरें छापी जा रही हैं लेकिन हर अधिकारी कर्मचारी नेता किसी ने किसी करप्शन में जरूर लिप्त हैं इसलिए वह इन खबरों पर विशेष कर वायरल खबरों पर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं और उन्हें ऐसे पत्रकारों से समझौता करना पड़ता है जो उनके खिलाफ खबरों का कार्य कर रहे हैं यह समझ में भ्रष्टाचार को बढ़ाता है ना कि कम करता है इसलिए ऐसी खबरों की जांच पड़ताल जरूर होनी चाहिए ताकि अधिकारी कर्मचारी अथवा कोई भी जनप्रतिनिधि उनके दबाव में आकर कोई कार्य न करें और करप्शन करने पर मजबूर ना हो कलेक्शन छोटे-मोटे हर जगह हैं लेकिन उनका आधार बनाकर कोई बड़ा खतरनाक करप्शन किया जाए इसके लिए पूर्व सावधान होकर इन खबरों के क्रम में जांच का आधार बनाकर अथवा साक्ष्य को अथवा सूझबूझ को सामने रख करके इन खबरों पर प्रतिज्ञान देने से पहले सच की अच्छे से जानकारी लेनी चाहिए इसी क्रम में चित्रकूट से खबर आ रही है कि कर्वी थाने के अंतर्गत चित्र कूट परिक्रमा मार्ग के चौकी इंचार्ज को लूट के लिए जिम्मेदार ठहराया जा रहा है उनके साथ एक कांस्टेबल को भी लूट में वाहनों द्वारा वसूली का हवाला दिया जा रहा है लेकिन इस बात में कितनी सच्चाई है ना तो कोतवाल प्रभारी बता रहे हैं नहीं अन्य अधिकारी इसका स्पष्टीकरण दे रहे हैं अगर साक्ष्य के बल पर पत्रकार कोई खबर लिख रहा है तो ठीक है वरना उसे पत्रकार पर भी कार्यवाही करने के लिए आप स्वतंत्र हैं ऐसा पत्रकार संगठन द्वारा कहा जाना है ऐसे पत्रकारों की संख्या न बढ़े जो बिना साक्ष्य के ही खबरों को लिखते हैं और उसके पीछे अपनी वसूली अथवा अपना भ्रष्टाचार का मूल उद्देश्य पूरा कर रहे हैं इसलिए ऐसी खबरों की जांच पड़ताल आला अधिकारी द्वारा की जानी चाहिए वह पत्रकार को भी अपने साथ के साथ इन अधिकारियों अथवा उनसे भी बड़े अधिकारियों और जहां तक आखिरी न्यायालय तक अपनी बात पहुंचा करके अगर यह दोषी है तो इन्हें उसे दोष में सजा दिलाने का काम करना चाहिए ना कि बिना साक्ष्य आधार खबर चलकर अपना उल्लू सीधा रखने के लिए प्रयास करना चाहिए ऐसे पत्रकारों से पत्रकार संगठन भी दूर रहना चाहता है और पत्रकार संगठन स्वच्छ और साफ जनता को लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के रूप में अपने को प्रदर्शित करना चाहता है इसलिए किसी भी खबर को चलाने से पहले अपने यहां ठोस सबूत और साक्षी को एकत्रित करने के बाद ही समाचार व खबर का संचालन करना चाहिए चाहे वह किसी प्लेटफार्म का हो प्रिंट मीडिया हो इलेक्ट्रॉनिक हो अथवा टीवी मीडिया चैनल हो और अधिकारी भी किसी खबर को साक्षी के आधार पर ही अपने कर्मचारियों अधिकारियों पर लागू करके उनके खिलाफ कोई कार्यवाही करने की कवायत करनी चाहिए।