
हर शहर की एक खास बात होती है और उस खास बात में उस शहर की एक पहचान होती है नदी और नदियों में होता है जीवन का बसेरा साफ स्वच्छ जल जीवन को करता है पोषित और वृद्धि लेकिन जब उस नदी का जल दूषित हो जाए तो उस शहर का क्या हाल होगा आजमगढ़ एक ऐसा शहर है और बहती है तमसा नदी नदियों में कचड़े और गंदगी इस कदर है जैसे लगता है कि सरकार ने गंगा नदी को साफ करने की कसम तो खाई है लेकिन बाकी नदियों का क्या हाल है इसके बारे में सोचना भूल गई है नदियों में मिलने वाले गंदे नालों की स्थिति इस कदर बदतर है कि कितना गंदगी नदियों में समाहित हो रही है इसकी चिंता सरकार नहीं कर रही हालांकि सरकार नदियों को साफ करने के लिए परियोजनाएं तो बना रही हैं लेकिन उस पैसों का बंदरबांट विभागों द्वारा कर दिया जाता है मतलब की परियोजनाओं का शिलान्यास तो होता है लेकिन इसकी क्रम में कोई कार्यवाही नहीं दिखती नहीं भविष्य में कुछ ऐसा महसूस होता है नालों को फिल्टर मशीन लगाकर चाहे तो पानी को स्वच्छ करके नदियों में डाला जा सकता लेकिन शायद छोटी-छोटी बातें जो आमजन को भी समझ में आता वह सरकार को या उसके विभाग को समझ में नहीं आता और प्लास्टिक पर बैन लगा रही सरकार प्लास्टिक काफी इस्तेमाल रोक पाने में असमर्थ है इस समस्याओं को गांव तक भी फैलाने में सरकार की हम भूमिका भी नजर आ रही है गांव से शहर दूषित प्रदूषित होते जा रहे हैं जिसका सबसे बड़ा कारण नदियों में होने वाला प्रदूषण है जो आम जनता द्वारा भयानक रूप से दूषित किया जा रहा है लेकिन इसका कोई उपाय भी सरकार को नहीं सूझ रहा है या फिर करना नहीं चाहती बनारस इलाहाबाद जैसे शहर भी नदियों के कारण ही काफी बीमार रहते हैं उसी क्रम में आजमगढ़ की तस्वीर यह बताती है कि तमसा नदी बहुत ही बीमार है जो शहर को भी एक तरह से बीमार ही कर डालेंगी अगर जल्द से जल्द इन परियोजनाओं पर कार्य करके नदियों को स्वच्छ न किया जाए और नालों का निस्तारण व प्लास्टिक कचरा का निवारण सख्त से सख्त कार्यवाही करके टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके न किया जाए तो शायद जीवन को शहर के किनारे बसने वाले लोगों का गांव में भी बसने वाले लोगों आज नहीं तो कल भयंकर रोग का सामना इंसान और जानवरों को करना पड़ सकता है इसमें सरकार के संकल्पित होकर व आम जनता का कर्तव्य दोनों को मिक्स करने के बाद ही शायद संभव होगी जीवन शुद्ध साफ तरीके से चले और पर्यावरणीय चिंता को समाप्त किया जा सकता है।