
नवीन इमारतों के निर्माण में सरकार लंबा चौड़ा बजट खर्च करती है वही इन इमारतों की कोई विभाग शुध भी नहीं लेता है बजट के बाद भवन बन जाते हैं और भवनो में लगने वाले घटिया सामान इत्यादि की जांच नहीं होती है खराब मटेरियल से भवन की छत इत्यादि खराब हो जाते हैं जब तक की कोई घटना या दुर्घटना नहीं होती तब तक इनका कोई भी संज्ञान नहीं लेता लेकिन सरकार द्वारा खर्च किए हुए मद से लाखों का भवन तैयार कर दिया जाता है अगर यह बनते समय जांच हो जाए तो शायद घटना दुर्घटनाओं से यह दूर हो व दुर्व्यवस्थाओं से बचा जा सकता है इसी क्रम में किशुनपुरा ग्राम सभा ब्लॉक धानापुर के अंतर्गत पंचायत भवन का निर्माण नवीन इमारत की हुई है लेकिन इस इमारत में जो दरवाजे लगे हैं उनको घुन खा गया है और शौचालय महिला और पुरुष दोनों बनाए गए हैं लेकिन इनका संचालन नहीं हुआ है नहीं इनके लिए शौचालय का कोई गड्ढा ही नही खोदा गया है नहीं टंकी बनी हुई है ना ही पानी की व्यवस्था हैं जैसे लगता है कि लाखों के खर्च के बाद भी यह अपनी दुर्व्यवस्था को रो रहा है इसकी पोल तब खुली जब मनमन सिंह किसान नेता जन समस्याओं को लेकर उसी पंचायत भवन पर धरने पर बैठे तब दुर्व्यवस्थाओं का संज्ञान लेते हुए मीडिया को जानकारी दिया वास्तव में वहां जाने पर पाया गया कि दरवाजे को घुन खा रहे हैं और शौचालय अति दूर्व्यवस्था में पड़ा हुआ है ना तो पानी है नहीं शौचालय के लिए कोई गड्ढा खोदा गया है नहीं पानी निकासी का कोई साधन है ऐसे ही नवीन इमारतों के मामले में सरकार मद तो खर्च कर देती है लेकिन इसकी जांच प्रक्रिया बहुत ही ढीली वह सुस्त है अथवा लापरवाह जनक है इसलिए भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ते हुए यह समाज को यह बताता है कि कितना हो सरकार दम लगा ले लेकिन कर्मचारी और अधिकारी किसी भी योजना को बंदरबांट करके उसमें भ्रष्टाचार की सेध लगा ही लेंगे मामले के उजागर के बाद देखते हैं कि अधिकारियों और कर्मचारियों और प्रशासन के कान में कोई खुजली होती है कि नहीं और भ्रष्टाचार की जांच करा कर इसे दुरुस्त कराए जाता है कि नहीं इसके लिए धानापुर बीडीयो साहब से भी गुहार की गई लेकिन उसका कोई भी संज्ञान लेने नहीं आया बी डी यो साहब ने सामने आश्वासन दिया लेकिन शौचालय का प्रबंधन सही नहीं हुआ जिससे वहां पर धरने पर बैठे लोग इसकी निरंतर शिकायत करते हैं जो कि बिल्कुल सही है।